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भारत में इस राज्य के लिए विश्व बैंक ने खोला खजाना

भारत में इस राज्य के लिए विश्व बैंक ने खोला खजाना

जैसा कि हम सब जानते हैं, कि भारत एक कृषि प्रधान देश है, देश की अधिकांश जनसँख्या जीवनयापन हेतु कृषि पर आश्रित रहती है। मृदा एवं जलवायु के अनुरूप कई प्रकार की फसल उगाई जा रही हैं। बतादें कि कृषि जगत में विकसित नवीनतम तकनीक एवं आधुनिक उपकरणों की सहायता से बंजर जमीन पर भी बेहतरीन उत्पादन किया जा रहा है। साथ ही, फसल को विभिन्न देशों में भी भेजा जाता है, कृषि की आधुनिक व नवीन तकनीकों की सहायता से ऐसे पहाड़ क्षेत्रों से पैदावार भी की जा सकती है, जहां कभी उत्पादन की कोई उम्मीद नहीं की जा सकती है। इसी बात का उदाहरण है, नागालैंड (Nagaland) जहां किसान पहाडों की ढलानों को सीढ़ीनुमा आकर के रूप में प्रयोग करके अच्छा खासा मुनाफा उठा रहे हैं। नागालैंड के किसान ८० प्रतिशत भाग में सिर्फ चावल और २० प्रतिशत में दलहन, बाजरा और मक्का की फसल उगाई जाती है।

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यहां होगी पहाड़ों के प्रयोग से खेती

नागालैंड के किसानों ने अपनी मेहनत के बल पर पहाड़ों का सीना चीर कर फसल उगा दी है। जिस जगह पर बहुत सारे पेड़ खड़े रहते थे, उस जगह पर नागालैंड के किसानों ने खेती कर भूमि की उत्पादकता बढ़ा दी। बारिश के कारण फसल उत्पादन असंभव सा हो जाता है। लेकिन नागालैंड के किसानों ने आपदा को अवसर में बदलने का कार्य किया है। पहाड़ों पर सीढ़ीनुमा खेत बनाकर किसान अधिकतर धान की फसल का उत्पादन करते हैं, क्योंकि धान उत्पादन हेतु अधिक जल की आवश्यकता होती है।

विश्व बैंक ने जाहिर की सीढ़ीनुमा खेती की प्रशंसा

बतादें कि नागालैंड के किसानों की सीढ़ीनुमा खेती बहुत ही चर्चा में है। साथ ही, किसानों के द्वारा सीढ़ीनुमा फसल के आकर्षक दृश्य को देखने हेतु पर्यटकों की भीड़ देखी जा रही है, नागालैंड के किसानों की रचनात्मक सोच और मेहनत दोनों रंग लायी। किसानों के अथक प्रयास और मेहनत से नागालैंड की उन्नति व प्रगति हो रही है। पूरे विश्व में आज नागालैंड की खूबसूरत खेती की खूब प्रशंसा हो रही है। इसी दौरान विश्व बैंक की टीम द्वारा जलवायु व वैज्ञानिक खेती को बढ़ावा देने हेतु सहायता करने की बात कही गयी है। मीडिया के अनुसार बताया गया कि विश्व बैंक संगठन की बैठक में एलीमेंट परियोजना के बारे में भी चर्चा की है।

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किन जगहों पर विश्व बैंक ने सर्वे किया

विश्व बैंक की टीम ने नागालैंड में भ्रमन के दौरान वहां की प्राकृतिक खूबसूरती को विशेष रूप से देखा, जिसमें फार्मिंग-एनआईएसएफ परियोजना, सेंडेन्यू बायो डायवर्सिडी रिसर्व, पारंपरिक सीढ़ीनुमा खेती,  एग्रो फॉरेस्ट्री, चीचमा में झूम खेती एवं नागा इंटीग्रेटेड सेटल्ड के सम्बंधित जानकारी प्राप्त की। बतादें कि अतिशीघ्र ही टीम नागालैंड स्थित मधुमक्खी पालन, हनी मिशन, चुमौकेदिमा, दिमाबांस मिशन जैविक बाजार का भी भ्रमन करेगी। इस सन्दर्भ में नागालैंड के कृषि उत्पादन आयुक्त वाई द्वारा भी विश्व बैंक संगठन द्वारा राज्य में कृषि परिदृश्य एवं कृषि के विभिन्न नमूनों के संबंध में जानकारी दी।
विश्व बैंक ने चावल की वैश्विक कीमतों में 2025 तक कोई गिरावट की संभावना जारी नहीं की है

विश्व बैंक ने चावल की वैश्विक कीमतों में 2025 तक कोई गिरावट की संभावना जारी नहीं की है

वैश्विक बाजारों में चावल के भाव में किसी भी तरह की कोई गिरावट की सभावनांए आज की तारीख में नजर नहीं आ रही हैं। विश्व बैंक ने कुछ ही समयांतराल में अपनी रिपोर्ट जारी की हैं। विश्व बैंक की ग्लोबल कमोडिटी आउटलुक के अनुसार, 2025 से पूर्व चावल की वैश्विक कीमतों में किसी तरह की उल्लेखनीय कमी आने की बिल्कुल संभावना नहीं है। चावल की कीमतों में बढ़ोतरी की मुख्य वजह अलनीनो का जोखिम जारी रहना है। इसके साथ ही विश्व के प्रमुख निर्यातकों और आयातकों के नीतिगत निर्णय और चावल पैदावार एवं निर्यात के बाजार में संकुचन से भी है।

इस खरीफ सीजन में कम चावल उपज की संभावना

विश्व बैंक की हाल ही में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2022 के मुकाबले 2023 में वैश्विक बाजार के अंदर चावल की कीमत औसतन 28 फीसद ज्यादा है। 2024 तक वैश्विक बाजार में चावल के मूल्यों में 6 फीसद और महंगाई आने की संभावनाएं हैं। इसकी वजह से भारत में चावल की कीमतों में इजाफा होने की संभावना से चिंता बढ़ गई हैं। क्योकि, अगस्त के माह में कम बारिश की वजह से 2023 में घरेलू बाजार के अंदर इस खरीफ सीजन में चावल की पैदावार कम होने की काफी संभावनाएं हैं।

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भारत सरकार ने चावल का निर्यात बंद किया हुआ है

भारत सरकार की तरफ देश से चावल के निर्यात को पहले ही प्रतिबंधित कर दिया हैं। जैसा कि हम सब जानते हैं, कि भारत में चावल की कुछ प्रजातियों पर 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क है। साथ ही, बासमती चावल पर न्यूनतम निर्यात मूल्य लागू है। कैंद्र सरकार के इस सराहनीय कदम से वैश्विक बाजार में चावल के निर्यात में 40 फीसद तक आपूर्ति में गिरावट दर्ज की गई है। दरअसल, इस रिपोर्ट के अंतर्गत कहा गया है, कि पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति की वजह से 2023 में कृषि जिंसों की कीमतों में लगभग 7 प्रतिशत की गिरावट आने की आशंका है। साथ ही, 2024-25 में कृषि जिंसों की कीमतों में 2 प्रतिशत की और गिरावट आ सकती है।